राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम (FRBM) 2003 परिचय : वैश्वीकरण के बाद सरकार के कर्ज़ में लगातार वृद्धि हो रही थी अर्थात् राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ता जा रहा था तथा राजकोषीय अनुशासन का पूर्ण प्रभाव देखा जा रहा था। कोई भी सरकार इस समस्या को गंभीरता से नहीं ले रही थी और बढ़ते राजकोषीय घाटे के परिणाम भी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल पड़ रहे थे। ऐसे में राजकोषीय अनुशासन स्थापित करने, राजकोषीय घाटे तथा राजस्व घाटे को नियंत्रित करने के उद्देश्य से वर्ष 2003 में FRBM एक्ट लाया गया। इस एक्ट के माध्यम से सरकार के लिए राजकोषीय घाटे तथा राजस्व घाटे से संबंधित कुछ लक्ष्य रखे गए, जिन्हें सरकार को पूरे करने अनिवार्य थे। FRBM एक्ट ने निम्नलिखित लक्ष्य रखे - 1. राजकोषीय अनुशासन को स्थापित करना सरकार के कुल दायित्व में 1 वर्ष में 9% से ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हो। PSU एवं राज्य सरकारों के लोन पर केंद्र द्वारा जो गारंटी ली जाती है वह GDP के 0.5 प्रतिशत राशि से अधिक न हो 2. राजस्व घाटा : राजस्व घाटे को 0.5% प्रतिवर्ष कम करना तथा 2007-08 तक अपनी GDP का 0% करना ...
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