बाजार असफलता , अपूर्ण प्रतियोगिता एवं एकाधिकार तथा बाजार असफलता, सार्वजनिक वस्तुएं एवं बाजार असफलता, आंतरिक एवं बाह्य मितव्ययता तथा बाजार असफलता
• पूर्ण प्रतियोगिता बाजार, परेटो अनुकूलतम अथवा आर्थिक कुशलता या अधिकतम सामाजिक कल्याण को सुनिश्चित करता है।
• इसके अनुसार साधनों का कोई भी पुनः आवंटन कुछ अन्य व्यक्तियों के कल्याण को कम किए बिना कुछ व्यक्तियों को बेहतर नहीं बना सकता है।
• कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं जिसमें बाजार व्यवस्था अधिकतम सामाजिक कल्याण की स्थिति को प्राप्त नहीं कर सकती हैं। जिन परिस्थितियों के कारण स्वतंत्र बाजार अर्थव्यवस्था अधिकतम सामाजिक कल्याण को प्राप्त करने में असफल रहती हैं उसे बाजार असफलता कहा गया है।
बाजार असफलता के तीन प्रमुख कारण होते हैं:-
1. अपूर्ण प्रतियोगिता एवं एकाधिकार
2. बाह्य मितव्ययिताएं एवं अमितव्ययिताएं
3. सार्वजनिक वस्तुएं
1.एकाधिकार या अपूर्ण प्रतियोगिता
सामान्यतः ऐसा माना जाता है कि अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार या एकाधिकार उत्पादन के साधनों का गलत आवंटन करता है और अधिकतम सामाजिक कल्याण की प्राप्ति में बाधा होता है । परेटो अनुकूलतम के लिए यह आवश्यक शर्त होती है कि किन्ही दो वस्तुओं के बीच रूपांतरण की सीमांत दर (MRT) प्रत्येक उपभोक्ता के लिए किन्ही दो वस्तुओं के मध्य प्रतिस्थापन की सीमांत दर (MRS) के समान होनी चाहिए। पूर्ण प्रतियोगिता में यह शर्त पूरी होती हैं लेकिन अपूर्ण प्रतियोगिता में यह शर्त पूरी नहीं हो पाती है अतः एकाधिकार साधनों के अनुकूलतम आवंटन को सुनिश्चित नहीं करता है और अधिकतम सामाजिक कल्याण को प्राप्त करने में बाधा पहुंच जाता है । इसका कारण यह है कि एकाधिकारी उत्पादन को नियंत्रित रखता है तथा वस्तु की कीमत सीमांत लागत से अपेक्षाकृत अधिक वसूल करता है।
उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण :
दो वस्तुएं X एवं Y
X का उत्पादन एकाधिकार की दशा में
अतः P x > MC x
Y का उत्पादन पूर्ण प्रतियोगिता में
अतः P y = MC y
इस प्रकार
MC x / MC y < P x / P y
MRT xy < P x / P y ……….(I)
किंतु उपभोक्ता संतुलन की स्थिति में निम्न शर्त पूरी होती हैं होनी चाहिए –
MRS xy = P x / P y …….(ii)
समीकरण (I) एवं (ii) से
MRT xy < MRS xy
MRS xy > MRT xy
अर्थात किसी वस्तु के उत्पादन में एकाधिकार का अस्तित्व होने पर वस्तुओं के मध्य प्रतिस्थापन की सीमांत दर , रूपांतरण की सीमांत दर से अधिक होती हैं ।
एकाधिकारी उत्पादन के अंतर्गत उपभोक्ता चाहेंगे की वस्तु का अधिक उत्पादन किया जाए किंतु एकाधिकारी वस्तु की वांछित मात्रा उत्पादित नहीं कर रहे होंगे और इस प्रकार संतुष्टि की हानि तथा संसाधनों का गलत आवंटन होगा।
बाह्य मितव्ययिताएं एवं अमितव्ययिताएं तथा बाजार असफलताएं
बाह्यता से अभिप्राय एक आर्थिक ईकाई जैसे एक फर्म, एक उपभोक्ता या एक उद्योग आदि के दूसरों पर लाभदायक या हानिकारक प्रभावों से होता है।
बाह्य मितव्ययिताएं : एक फर्म या उपभोक्ता द्वारा दूसरों के लिए निर्मित लाभदायक बाह्यताएं।
अर्थात जब एक आर्थिक इकाई दूसरों के लिए ऐसे लाभो का सृजन करती हैं जिसके लिए वह कोई भुगतान प्राप्त नहीं करती है।
A. उपभोग में B. उत्पादन में
उत्पादन में : बाह्य मितव्ययिताएं तब होती हैं जब एक फर्म के उत्पादन में विस्तार से उन लाभो का सृजन होता है जिसका एक भाग दूसरों को जाता है।
लाभ का सृजन दो प्रकार का हो सकता है : -
(I) अपने उत्पादन का विस्तार करके फर्म दूसरों को प्रत्यक्ष सेवा प्रदान कर सकती हैं।
(ii) उत्पादन का विस्तार करके एक फर्म कुछ आगतों की पूर्ति, उद्योग की अन्य फर्मों के लिए अपेक्षाकृत सस्ता कर सकती हैं।
इस स्थिति में फर्म की PMC > SMC होगी क्योंकि फर्म उन लाभो का ध्यान नहीं रखेगी जो लाभ दूसरों के लिए सृजित होते हैं और PMC के आधार पर निर्धारित बाजार कीमत, SMC को प्रतिबिंबित नहीं करेगी।
बाह्य मितव्ययिताओ के कारण उत्पादन सामाजिक दृष्टि से अनुकूलतम स्तर से कम होता है।
बाह्य अमितव्ययिताएं : एक फर्म या उपभोक्ता द्वारा दूसरों पर हानिकारक प्रभाव ।
अर्थात जब एक आर्थिक इकाई दूसरों पर ऐसे हानिकारक प्रभाव डाल देती हैं जिसके लिए उसे भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होती हैं।.
उपभोग में : एक व्यक्ति का उपभोग अन्य उपभोक्ताओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है । जैसे: पड़ोसी द्वारा तेज आवाज में संगीत बजाना, - प्रदर्शनकारी प्रभाव या दिखावापन।
उत्पादन में : एक फर्म की उत्पादन की क्रियाओं से बाह्य अमितव्ययिताएं भी उत्पन्न हो सकती है।
जैसे उद्योगों के प्रदूषण से स्वास्थ्य की समस्याएं, भीड़-भाड़ से यातायात लागत का बढ़ना ।
एक फर्म के विस्तार से बाह्य अमितव्ययिताएं उत्पन्न होती हैं तो PMC < SMC होगी क्योंकि फर्म उन हानियों का ध्यान नहीं रखेगी जो इसकी गतिविधियों द्वारा दूसरे को पहुंचाई जाती हैं ।
इस प्रकार जब बाह्य अमितव्ययिताएं होती है तो PMC के आधार पर निर्धारित कीमत, सामाजिक लागत (SMC) के आधार पर निर्धारित कीमत की अपेक्षा कम होगी।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि बाह्यताओं की अनुपस्थिति में निजी तथा सामाजिक लागतो या लाभों में कोई अंतर नहीं होगा लेकिन जब बाह्य मितव्ययिताएं एवं अमितव्ययिताएं होती हैं तो निजी और सामाजिक लागतो या लाभों के मध्य अंतर उत्पन्न हो जाता है।
बाह्य अमितव्ययिताओं के कारण उत्पादन अनुकूलतम स्तर से अधिक होता है :-
सार्वजनिक वस्तुएं तथा बाजार असफलता
सार्वजनिक वस्तुओं की दो महत्वपूर्ण विशेषताएं होती ह
1. गैर-प्रतियोगी उपभोग (Non-Rival cons.) : सार्वजनिक वस्तुएं गैर-प्रतियोगी होती है अर्थात किसी एक व्यक्ति द्वारा उनका उपयोग करने पर अन्य व्यक्तियो को उनके उपयोग से वंचित नहीं करता है या अन्य व्यक्तियों के लिए उस वस्तु की उपलब्धि में कमी नहीं लाता है।
जैसे : राष्ट्रीय सुरक्षा, पार्क, दूरदर्शन सिग्नल, बाढ़ नियंत्रण योजनाएं, प्रदूषण नियंत्रण योजनाएं आदि
2.गैर-अपवर्जिता (Non Excludability) :
अर्थात जो व्यक्ति सार्वजनिक वस्तु के लिए कोई भुगतान नहीं करता है उन्हें उनके लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता या उन्हे रोकना बहुत कठिन होता है।
जैसे : राष्ट्रीय सुरक्षा
सार्वजनिक वस्तु की इसी विशेषता के कारण बाज़ार की असफलता या परेटो अनुकूलतम को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता।
नि:शुल्क सवारी की समस्या :
सार्वजनिक वस्तुओं की गैर-अपवर्जिता के कारण नि:शुल्क घुड़सवार की समस्या उत्पन्न होती है जो यह बताती है कि सार्वजनिक उपयोग से लाभान्वित होने वालों को वंचित नहीं किया जा सकता है। वे व्यक्ति बिना कुछ लाभ दिए कुछ प्राप्त करना चाहते हैं। इसी असमर्थता के कारण एक लाभ अधिकतम करने वाली फर्म या तो सार्वजनिक वस्तु का उत्पादन ही नहीं करेगी या बहुत कम मात्रा में उत्पादन करेगी जिससे आर्थिक अकुशलता या परेटो गैर-अनुकूलतम का सृजन होता है।
सार्वजनिक वस्तुएं, परेटो अनुकूलतम एवं बाजार असफलता
सार्वजनिक वस्तुओं में निशुल्क सवारी की समस्या के कारण इनका उत्पादन सामाजिक रुप से अनुकूलतम स्तर की तुलना में कम होता है। सार्वजनिक वस्तुओं के संदर्भ में निजी उत्पादन तथा बाजार तंत्र इन वस्तुओं की व्यवस्था में परेटो अनुकूलतम उत्पन्न नहीं करता है। क्योंकि निशुल्क सवारी की स्थिति में एक सार्वजनिक वस्तु की लागत को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में आय एकत्रित नहीं की जा सकती हैं।
सार्वजनिक वस्तुएं उपभोग में गैर प्रतियोगी होती हैं अतः परेटो अनुकूलतम की शर्तों का निर्धारण करने के लिए इसमें कुछ संशोधन की आवश्यकता होती हैं।
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