एकाधिकारी शक्ति का माप , एकाधिकारी शक्ति को मापने की विधियां : मांग की लोच विधि तथा प्रोफेसर लर्नर का माप
एकाधिकारी शक्ति से आशय उस स्व-निर्णय की मात्रा से हैं जो किसी उत्पादक या विक्रेता को कीमत एवं उत्पादन नीति का निर्धारण करने के संबंध में प्राप्त होती है ।
अर्थात एकाधिकारी शक्ति नियंत्रण कि वह मात्रा है जो कोई उत्पादक एवं विक्रेता अपनी वस्तु की कीमत तथा उत्पादन पर प्राप्त करता है ।
एकाधिकारी शक्ति को मापने की विधियां :
1. मांग की लोच द्वारा :
• किसी व्यक्तिगत फर्म या विक्रेता की वस्तु का मांग वक्र पूर्णतया लोचदार होने पर विक्रेता का अपनी वस्तु की कीमत पर कोई नियंत्रण नहीं होता है । बाजार में प्रचलित कीमत के आधार पर ही वह उत्पादन निर्धारित करता है। अतः पूर्ण प्रतियोगिता में एकाधिकारी शक्ति प्राप्त नहीं होती है।
• यदि मांग वक्र पूर्णतया लोचदार से कम होता है अर्थात नीचे की ओर गिरता हुआ होता है तो अपूर्ण प्रतियोगिता की विभिन्न श्रेणियों में एकाधिकारी तत्व की कुछ मात्रा विद्यमान होती हैं जो विक्रेता के एकाधिकारी तत्व को बताती है। किसी वस्तु की मांग की लोच जितनी कम होगी एकाधिकारी नियंत्रण की मात्रा उतनी ही अधिक होगी और विलोमश: ।
• जब वस्तु का मांग वक्र पूर्णतया बेलोचदार होगा तो विक्रेता अपनी वस्तु की कोई भी कीमत वसूल कर सकता है और उसकी वस्तु की मांग में कोई परिवर्तन भी नहीं होगा ।
• मांग की लोच के व्युत्क्रम को एकाधिकारी शक्ति का निश्चित माप कहा जा सकता है। अतः
एकाधिकारी शक्ति की मात्रा = 1 / Ep
If Ep = 0.25
एकाधिकारी शक्ति की मात्रा = 1/0.25 = 4
If Ep = 0.20
एकाधिकारी शक्ति की मात्रा = 1/0.20 = 5
2. प्रो. लर्नर का माप :
प्रोफ़ेसर लर्नर ने पूर्ण प्रतियोगिता को विचलन का आधार माना है। उनके अनुसार पूर्ण प्रतियोगिता सामाजिक अनुकूलतम अथवा अधिकतम कल्याण की स्थिति होती है। इसमें कोई भी विचलन एकाधिकारी शक्ति की उपस्थिति को दर्शाता है अर्थात सामाजिक अनुकूलतम प्राप्त नहीं होगा । पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत और सीमांत लागत की समानता अधिकतम सामाजिक कल्याण को निश्चित करती है ।
जब प्रतियोगिता, पूर्ण प्रतियोगिता से कम होती हैं तो फर्म का मांग वक्र नीचे की ओर गिरता हुआ होता है तथा सीमांत आय वक्र उससे नीचे होता है अर्थात जब अपूर्ण प्रतियोगिता होती हैं तो सीमांत लागत एवं सीमांत आय संतुलन की स्थिति में बराबर होती हैं लेकिन कीमत सीमांत लागत या सीमांत आय से अधिक होती हैं। अतः कीमत एवं सीमांत लागत में यह अंतर एकाधिकारी शक्ति के अस्तित्व को बताता है। कीमत और सीमांत लागत में यह अंतर जितना अधिक होगा, उत्पादक की एकाधिकारी शक्ति उतनी ही अधिक होगी।
एकाधिकारी शक्ति का सूचक
= P – MC / P
यह एकाधिकारी शक्ति का सूचक एक से शून्य के बीच में हो सकता है । यहां वस्तु की कीमत जितनी अधिक होगी, विक्रेता की एकाधिकारी शक्ति भी उतनी ही अधिक होगी।
लर्नर का एकाधिकारी शक्ति का सूचक तथा मांग की कीमत लोच
लर्नर का एक अधिकारी शक्ति का सूचक मांग की कीमत लोच का व्युत्क्रम है अतः केवल संतुलन उत्पादन स्तर पर मांग की लोच को जानकर एकाधिकारी शक्ति की मात्रा का पता लगाया जा सकता है।
= P – MC / P
= P – MR / P
= P – P(e-1/e) / P
= P- P(1-1/e) / P
= 1-1+1/e
= 1/e
3. मांग की तिरछी लोच द्वारा एकाधिकारी शक्ति का माप
: काल्डोर , रॉबर्ट ट्रिफिन
मांग की तिरछी लोच यह बताती हैं कि एक फर्म की वस्तु की मांग दूसरी फर्म की वस्तु की कीमत पर निर्भरता की मात्रा कितनी है। यदि एक फर्म की वस्तु की मांग दूसरी फार्म की वस्तु की कीमत पर निर्भर नहीं करती है तब वह फर्म दूसरी फर्म की कीमत व उत्पादन नीतियों के प्रभावों से स्वतंत्र होगी । एक फर्म के वस्तु की मांग की तिरछी लोच जितनी कम होगी , फर्म की एकाधिकारी शक्ति की मात्रा उतनी ही अधिक होगी और विलोमश: ।
Ec = ∆Qa ÷∆Pb / Pb ÷ Qa
मांग की तिरछी लोच का गुणांक कम होने पर एकाधिकारी शक्ति उतनी ही अधिक होगी और विलोमश:
यदि किसी फर्म के वस्तु की मांग की तिरछी शून्य है तो फर्म को अपनी कीमत व उत्पादन नीति अपनाने के लिए पूर्ण एकाधिकारी शक्ति प्राप्त होगी ।
किसी फर्म के वस्तु की मांग की लोच जितनी अधिक होगी , फर्मों में प्रतियोगिता की मात्रा उतनी ही अधिक होगी और एकाधिकारी शक्ति उतनी ही कम ।
पूर्ण प्रतियोगिता में वस्तुएं एक दूसरे की पूर्ण स्थानापन्न होती हैं अतः मांग की तिरछी लोच अनंत होती हैं और फर्मों को कोई एकाधिकारी शक्ति प्राप्त नहीं होती है।
प्रोफेसर ट्रिफिन ने मांग की तिरछी लोच के आधार पर विभिन्न बाजार स्थितियों का वर्गीकरण किया है ।
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