भारत में वित्त आयोग : Finance Commission
• स्थापना : 22 नवंबर 1951
वित्त आयोग अधिनियम 1951 के अनुसार
• गठन : भारत के राष्ट्रपति द्वारा
• कार्यकाल : 5 वर्ष का (आवश्यकतानुसार कम ज्यादा)
• यह एक संवैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना अनुच्छेद 280 के अंतर्गत की गई हैं
• यह अर्ध न्यायिक एवं सलाहकार संस्था है
• 1993 से सभी राज्यों में राज्य वित्त आयोग का गठन किया गया है।
संरचना : Structure
• एक अध्यक्ष
• चार सदस्य : 2 पूर्ण कालीन एवं 2 अंश कालीन
• इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती हैं तथा इनकी पुनर्नियुक्ति भी हो सकती हैं।
• कार्यकाल का निर्धारण राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
• अध्यक्ष एवं सदस्यों के चयन की योग्यता और चयन विधि का निर्धारण संसद द्वारा किया जाता है।
कार्य : Functions
वित्त आयोग निम्न मुद्दों पर अपनी सिफारिशें राष्ट्रपति को देता है
• केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के मध्य वित्तीय संबंधो (कर
प्राप्तियों) का वितरण किस प्रकार हो । राज्यों के हिस्से का आवंटन
• केंद्र सरकार को किन सिद्धांतों के आधार पर राज्यों को सहायता अनुदान देना चाहिए
• राज्य वित्त आयोग की सिफारिश पर पंचायतों एवं नगर पालिकाओं को संसाधन आपूर्ति के लिए राज्य संचित निधि के संवर्धन के लिए उपाय सुझाना (वित्त का प्रावधान करना)
• केंद्र एवं राज्यों के मध्य वित्तीय संबंधी अन्य मामलों पर भी सुझाव दे सकता है।
वित्त आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी जाती हैं तथा राष्ट्रपति इस रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों में रखता है।
सलाहकार की भूमिका : वित्त आयोग की सिफारिशें सलाहकार प्रकृति की होती हैं इससे मानना सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं होता है लेकिन सामान्यतः सरकार द्वारा इसे मान लिया जाता है।
• अभी तक भारत में 15 वित्त आयोग गठित किए जा चुके हैं। पहला वित्त आयोग 1951 में के.सी नियोगी की अध्यक्षता में गठित किया गया।
• वर्तमान में 15 वें वित्त आयोग की सिफारिशें क्रियाशील है जिसका गठन 2017 में एन.के. सिंह (भारत सरकार के पूर्व सचिव एवं पूर्व संसद सदस्य) की अध्यक्षता में किया गया। इसकी सिफारिशें 1 अप्रैल 2020 से 5 वर्षों के लिए प्रभावी होगी।
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