पूर्ण प्रतियोगी बाजार : Perfect Competition
बाजार : Market
बाजार का आशय उस संपूर्ण क्षेत्र से है जहां क्रेता एवं विक्रेताओं में प्रतिस्पर्धात्मक संबंध पाए जाते हैं ।
बाजार का वर्गीकरण : Classification
क्षेत्र के आधार पर
• स्थानीय बाजार : Local
जिस बाजार में क्रेताओं एवं विक्रेताओं का विस्तार गांव/ शहर / उपनगर तक सीमित ।
उदाहरण : शीघ्रनाशी वस्तुओं फल, सब्जी, मांस, मछली आदि का बाजार
• प्रादेशिक (क्षेत्रीय) बाजार : Regional
जब किसी वस्तु का बाजार संपूर्ण प्रदेश अथवा क्षेत्र तक सीमित होता है ।
उदाहरण : राजस्थान की चुनरी लहंगा, मारवाड़ की पगड़ी आदि का बाजार
• राष्ट्रीय बाजार : National
जब किसी वस्तु विशेष के क्रेता एवं विक्रेताओं का विस्तार पूरे देश में होता है ।
उदाहरण : विभिन्न खाद्य पदार्थों का बाजार, कपड़ा एवं आभूषण का बाजार
• अंतर्राष्ट्रीय बाजार : International
क्रेता एवं विक्रेताओं का फैलाव विभिन्न देशों में ।
उदाहरण : जेम्स एवं ज्वेलरी, कच्चा तेल, इंजीनियरिंग मशीन शॉपिंग मॉल : एक ही छत के नीचे देशी एवं विदेशी कंपनियों द्वारा वस्तुओं का क्रय विक्रय किया जाता है।
उदाहरण : बिग बाजार, रिलायंस मार्ट, पतंजलि स्टोर
वस्तुओं के आधार पर वर्गीकरण
• सामान्य बाजार
एक ही बाजार में अनेक प्रकार की वस्तुओं का क्रय विक्रय
उदाहरण : खाद्यान्न , आभूषण, कपड़ा, पुस्तकें , सब्जियां आदि
• विशिष्ट बाजार : Specific
जब किसी बाजार में केवल विशिष्ट वस्तु का क्रय विक्रय हो ।
उदाहरण : सब्जी मंडी, अनाज मंडी, कपड़ा बाजार आदि
• नमूने द्वारा बिक्री : Sample
जब वस्तु का क्रय विक्रय नमूनों अथवा सैंपल के माध्यम से किया जाए ।
उदाहरण : पुस्तक बाजार, वॉशिंग पाउडर एवं साबुन आदि के सैंपल ग्राहकों को निशुल्क
ऑनलाइन मार्केट :
Youइंटरनेट के द्वारा घर बैठे वस्तुओं का क्रय विक्रय उदाहरण : फ्लिपकार्ट, अमेजॉन आदि द्वारा वस्तुओं का क्रय करना
श्रेणी द्वारा बिक्री (श्रेणीकरण)
वस्तुओं की गुणवत्ता के आधार पर विभिन्न श्रेणियों के आधार पर क्रय-विक्रय ।
उदाहरण : इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद ISI , खाद्य पदार्थ fssai, कीमती धातुओं के लिए हॉलमार्क etc.
बिक्री के आधार पर वर्गीकरण
• खुदरा बाजार : Retail
जब वस्तुओं का क्रय छोटी छोटी मात्रा में किया जाए। इसमें कीमत सामान्यतः थोक बाजार से अधिक होती हैं। उदाहरण : किराने की दुकान
• थोक बाजार : Wholesale
इसमें वस्तुओं का क्रय-विक्रय बड़ी मात्रा (थोक) में किया जाता है जिससे कीमतें कम होती हैं। प्रत्येक थोक बाजार में वस्तु विशेष का क्रय-विक्रय होता है ।
जैसे: अनाज मंडी, सब्जी मंडी आदि।
समयावधि के आधार पर बाजार वर्गीकरण
• अति अल्पकालीन बाजार : Very short Period
ऐसा बाजार जिसमें वस्तु की पूर्ति स्थिर रहती हैं।
केवल वस्तु की मांग में परिवर्तन होता है ।
जैसे: शीघ्रनाशी वस्तुएं : दूध, फल, सब्जी आदि का बाजार ।
• अल्पकालीन बाजार : Short period Market
इसमें वस्तु की पूर्ति में थोड़ा सा परिवर्तन किया जा सकता है । इसमें साधनों की मात्रा में थोड़ी कमी वृद्धि संभव हो सकती हैं ।
• दीर्घकालीन बाजार : Long run Market
इसमें वस्तु की मांग के अनुसार पूर्ति में परिवर्तन कर सकते हैं । इतनी समय अवधि होती हैं जिसमें उत्पादक स्थिर एवं परिवर्तन साधनों में परिवर्तन करके मांग के अनुसार पूर्ति को घटाया बढ़ाया जा सकता है।
• अति दीर्घकालीन बाजार : Very Long period Market
इसमें इतनी समयावधि होती हैं जिसमें पूर्ति एवं मांग दोनों पक्षों में परिवर्तन किया जा सकता है। इसमें उपभोक्ताओं का स्वभाव, रुचि, फैशन, जनसंख्या आकार में परिवर्तन से मांग पक्ष में तथा नवीन आविष्कार, नई तकनीक मैं परिवर्तन से पूर्ति पक्ष में भी परिवर्तन होता है।
पूर्ण प्रतियोगिता बाजार :
बाजार की वह स्थिति जिसमें वस्तु के क्रेता विक्रेता अधिक होते हैं और उन्हें बाजार की पूर्ण जानकारी होती है। संपूर्ण बाजार में वस्तु विशेष की एक ही कीमत प्रचलित होती हैं । वस्तु की कीमत का निर्धारण उद्योग द्वारा की गई मांग एवं पूर्ति के साम्य द्वारा निर्धारित होता है । एक फर्म वस्तु की कीमत को प्रभावित नहीं कर सकती क्योंकि कुल उत्पादन में फर्म का योगदान नगण्य होता है। फर्मो का समूह उद्योग कहलाता है। एक उद्योग द्वारा निर्धारित कीमत सभी फर्मे स्वीकार करती हैं अतः फर्म कीमत स्वीकार (Price Taker) तथा मात्रा संयोजक एवं उद्योग कीमत निर्धारक (Price Maker) होता है ।
विशेषताएं :
1. क्रेताओं एवं विक्रेताओं की अधिक संख्या
कोई क्रेता विक्रेता वस्तु की मांग को प्रभावित नहीं कर सकता क्योंकि बाजार में उनका योगदान सूक्ष्म होता है।
2. समरूप वस्तु का उत्पादन
रंग , रूप, आकार, गुणवत्ता, पैकिंग आदि।
ये पूर्ण प्रतिस्थापन वस्तुएं होती है और मांग की आड़ी लोच शून्य होती हैं।
3. फर्म का प्रवेश एवं बहिर्गमन स्वतंत्र
अल्पकाल में सामान्य लाभ : नई फर्मो का प्रवेश
अल्पकाल में हानि : उद्योग से फर्मो का बहिर्गमन अतः दीर्घकाल में सामान्य लाभ की प्राप्ति ।
4. साधनों की पूर्ण गतिशीलता
एक उद्योग से दूसरे उद्योग में
एक स्थान से दूसरे स्थान पर
5. क्रेताओं और विक्रेताओं को बाजार की पूर्ण जानकारी
क्रेताओं एवं विक्रेताओं में निकट संबंध
प्रचलित मूल्य की जानकारी
6. परिवहन लागतो की अनुपस्थिति
क्रेता एवं विक्रेता समीप , अतः परिवहन लागत नही।
परिवहन लागते होने पर कीमत समरूप नहीं होगी।
7. फर्म कीमत ग्राही तथा उद्योग कीमत निर्धारक
8. दीर्घकाल में फर्म को सामान्य लाभ
9. काल्पनिक अवधारणा
10. समरूप कीमत
11. फर्म का मांग वक्र पूर्णतया लोचदार
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