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उपभोक्ता का संतुलन , उपयोगिता विश्लेषण , सीमांत उपयोगिता हास नियम एवं सम सीमांत उपयोगिता नियम

     उपभोक्ता संतुलन Consumer's equilibrium

गणनावाचक विश्लेषण
मार्शल,पीगू,एजवर्थ,फिशर,जेवन्स,       
इसके अनुसार उपयोगिता मापनीय है। उपयोगिता को संख्या के रूप में माप सकते हैं । उपयोगिता मापने की इकाई यूटिल्स हैं । 
        U = f ( X 1 , X 2 , X 3 …….. Xn)
क्रमवाचक विश्लेषण
प्रो. जे.आर. हिक्स, R. D. ऐलन 
इसके अनुसार उपयोगिता को संख्या के रूप में मापना कठिन है । उपयोगिता को केवल क्रम प्रदान किया जा सकता है। इसकी व्याख्या तटस्थता वक्र विश्लेषण द्वारा की जाती हैं। 

उपयोगिता : Utility  (गणनावाचक विश्लेषण)
कोई वस्तु या सेवा जिसका प्रयोग करने से उपभोक्ता की आवश्यकता की संतुष्टि होती हैं। किसी वस्तु की उपयोगिता अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग हो सकती हैं ।
अर्थशास्त्री : एजवर्थ , फिशर , एंटोनेली , वालरस, जेवन्स आदि ने बताया उपयोगिता को माप सकते हैं और यह विभिन्न वस्तुओं के उपभोग की मात्रा पर निर्भर करती हैं।
                  U = f ( X 1 , X 2 , X 3 …….. Xn)
 उपरोक्त फलन व्यक्ति की पसंद को दर्शाता है जो सामान्यतः प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग होती हैं।
जेवन्स, मार्शल, वालरस के अनुसार उपयोगिता को यूटिल्स में माप सकते हैं जैसे किसी वस्तु को किलोग्राम, मीटर, लीटर, आदि में मापते हैं ।

उपयोगिता विश्लेषण की मान्यताएं
• उपभोक्ता विवेकशील 
• उपभोक्ता उपयोगिता अधिकतम करता है 
• उपभोक्ता को पसंद एवं चयन की पूर्ण जानकारी 
• उपयोगिता मुद्रा द्वारा मापनीय 
• मुद्रा की सीमांत उपयोगिता स्थिर 

उपयोगिता एवं संतुष्टि में अंतर 
• किसी वस्तु की उपयोगिता उपभोग से पूर्व भी हो सकती हैं जबकि संतुष्टि किसी वस्तु के उपयोग से प्राप्त होती हैं। 
• उपयोगिता अनुमानित होती हैं जबकि संतुष्टि वास्तव प्राप्त उपयोगिता होती हैं 
• उपयोगिता को यूटिल्स द्वारा माप सकते हैं जबकि संतुष्टि अमापनीय है।

उपयोगिता के प्रकार 
कुल उपयोगिता : Total Utility (TU) 
किसी वस्तु की विभिन्न इकाइयों का उपभोग करने से जो कुल संतुष्टि प्राप्त होती हैं। 
                  TU = U 1 + U 2 + U 3 + ……..Un 
                  TU = €MU


       
वस्तु के उपभोग में वृद्धि के साथ एक बिंदु तक घटती हुई दर से बढ़ती हैं, फिर एक बिंदु पर अधिकतम हो जाती हैं जिसे अधिकतम संतुष्टि का बिंदु कहते हैं, इसके पश्चात उपभोग में वृद्धि से कुल उपयोगिता घटने लगती हैं।

सीमांत उपयोगिता : Marginal Utility (MU)
किसी वस्तु की एक इकाई का उपभोग बढ़ाने पर कुल उपयोगिता में जो परिवर्तन होता है।
                            MU = TU n – TU n-1   OR  ∆TU/∆Q
 सीमांत उपयोगिता का योग कुल उपयोगिता होती हैं।
Q    TU      MU
1    40        40
2    70        30
3    90        20
4    100      10
5    100       0
6     90      -10
7     70      -20


कुल उपयोगिता एवं सीमांत उपयोगिता में संबंध 
• जब सीमांत उपयोगिता घटती हैं और धनात्मक हो तो कुल उपयोगिता घटती हुई दर से बढ़ती है।
• जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती हैं तो सीमांत उपयोगिता शून्य होती हैं।
• जब सीमांत उपयोगिता ऋणात्मक हो जाती हैं तब कुल उपयोगिता घटने लगती हैं ।

सीमांत उपयोगिता हास नियम : Law of Diminishing MU
 1854 : गोसेन ( गोसेन का प्रथम नियम) 
 इसकी वैज्ञानिक रूप से व्याख्या प्रो. मार्शल ने की ।
 नियम : उपभोक्ता अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए किसी वस्तु के उपभोग में वृद्धि करता है तो एक बिंदु के पश्चात उस वस्तु की उपयोगिता घटने लगती हैं अथवा सीमांत उपयोगिता कम होने लगती हैं।

Q    TU      MU
1     40       40
2     70       30
3     90       20
4    100      10
5    100        0
 मान्यताएं
• उपभोक्ता विवेकशील 
• उपयोगिता मापनीय 
• मुद्रा की सीमांत उपयोगिता स्थिर 
• वस्तु का उपयोग निरंतर 
• वस्तु की इकाइयां समरूप 
• आय, रुचि , फैशन स्थिर

नियम लागू होने के कारण : प्रो. बोल्डिंग 
• वस्तुएं एक दूसरे की अपूर्ण स्थानापन्न 
• विशिष्ट आवश्यकता की संतुष्टि संभव 

महत्व 
• मांग के नियम एवं सम सीमांत उपयोगिता नियम का आधार 
• सार्वजनिक वित्त में उपयोगी 
 धनी -- मुद्रा की MU कम -- कर अधिक
 निर्धन -- मुद्रा की MU अधिक -- कर कम (अधिक व्यय)

हीरा पानी विरोधाभास का हल 
पानी की TU हीरे से अधिक होती हैं लेकिन वस्तु की कीमत MU पर निर्भर करती हैं। लोगों द्वारा पानी का अधिक उपयोग किया जाता है जिससे पानी की MU कम होती हैं और इसी कारण कीमत भी कम होती हैं जबकि हीरा अल्प मात्रा में पाया जाता है जिससे उसकी अतिरिक्त इकाई की MU अधिक होने से कीमत भी अधिक होती हैं।


 सम सीमांत उपयोगिता नियम : Law of Equi-MU
गोसेन का द्वितीय नियम / प्रतिस्थापन नियम / अधिकतम संतोष का नियम / आमदनी के आवंटन का नियम 
इस नियम के अनुसार उपभोक्ता संतुलन की स्थिति में तब होता है जब उसे अधिकतम संतुष्टि प्राप्त होती हैं और वह अपने उपभोग के स्तर में परिवर्तन नहीं करता ।
 नियम :  उपभोक्ता को विभिन्न वस्तुओं पर इस प्रकार से व्यय करना चाहिए कि प्रत्येक स्थिति में व्यय की गई अंतिम इकाई से प्राप्त सीमांत उपयोगिता बराबर हो जाएं ।
                                    MU x = MU y
उपभोक्ता संतुलन :  
एक वस्तु के प्रयोग की स्थिति में
 वस्तु की सीमांत उपयोगिता और कीमत बराबर हो। MU = P
यदि MU > P होगी तब उपभोक्ता वस्तु- X की अधिक मात्रा खरीद कर अपनी संतुष्टि अधिकतम कर सकता है।
 यदि MU < P हो तो वस्तु - X की कम मात्रा खरीदेगा जिससे     MU = P हो जाए।

एक से अधिक अथवा दो वस्तुओं के संदर्भ में : 
यदि उपभोक्ता एक से अधिक वस्तुओं का उपभोग करता है तो उपभोक्ता संतुलन की शर्त निम्न प्रकार होगी :-
पहली शर्त : MU x / Px = MUy /Py
दूसरी शर्त : आय प्रतिबंध 
          M = Px. Q x  + Py.Qy
    उपभोक्ता की आय = वस्तुओं पर व्यय

उदाहरण :
Let Px = ₹ 10
      Py = ₹ 5
      M = ₹ 50 (Income)


Q    MUx     MUy         Mux/Px        MUy/Py
1       60        50                 6                  10
2       50         35                5                   7
3       40         30                4                    6
4        30        20                3                    4
5        20        15                2                    3
6       10         05                1                    1


नियम की सीमाएं /कमियां /आलोचना 
• उपभोक्ता को वैकल्पिक चयन एवं पसंद की पूर्ण जानकारी नहीं 
• उपभोक्ता बहुत अधिक विवेकशील नहीं 
• वस्तुओं की अविभाज्यता : मकान, कार 
• मुद्रा की सीमांत उपयोगिता स्थिर नहीं 
• बजट अवधि का अनिश्चित होना : टिकाऊ वस्तु 
नियम का महत्व : 
• उपभोग में महत्व: उपभोक्ता को अधिकतम संतुष्टि
• उत्पादन में महत्व: अधिकतम लाभ 
• विनिमय एवं वितरण में महत्व: साधनों का वितरण
• सार्वजनिक क्षेत्र में महत्व: अधिकतम सामाजिक लाभ
• बचत एवं उपभोग के मध्य निर्णय में उपयोगी
  



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